ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के बीच गुरुवार को फ्री ट्रेड डील पर समझौता हो गया है। ब्रिटेन इन दिनों कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की मार झेल रहा है। यूरोप के कई देशों ने ब्रिटेन से जुड़ी सीमाएं बंद कर दी हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यह समझौता देश को उथल-पुथल से बचाएगा।
ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने का एक साल पूरा होने से एक हफ्ते पहले ही यह डील फाइनल हुई। इससे तय हो गया कि अब ब्रिटेन अगले कुछ दिन में यूरोपीय यूनियन का इकोनॉमिक स्ट्रक्चर से अलग हो जाएगा। हालांकि, 27 देशों के समूह यूरोपीय यूनियन और इसका साथ छोड़ चुके ब्रिटेन के बीच भविष्य में कैसे रिश्ते होंगे, इस मसला अब भी अनसुलझा है।
ब्रिटेन और EU के बीच 3 मुद्दों पर अटका था मामला
कई महीने तक चले तनाव और टीका-टिप्पणी के बीच धीरे-धीरे दोनों पक्षों ने तीन बड़े मुद्दों पर मतभेद दूर कर लिए। इनमें फेयर कॉम्पीटिशन रूल्स, भविष्य में होने वाले विवादों को सुलझाने का मैकेनिज्म तैयार करना और ब्रिटेन के समंदर में यूरोपीय यूनियन की नावों को मछली पकड़ने का अधिकार शामिल है। इसमें मछली पकड़ने का मुद्दा इस डील में सबसे बड़ी रुकावट बना हुआ था।
बोरिस जॉनसन ने दी थी चेतावनी
इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस डील के लिए 15 अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की थी। उन्होंने कहा था कि अगर तब तक डील नहीं हुई तो ब्रिटेन बिना शर्त यूरोपीय यूनियन से पूरी तरह अलग हो जाएगा। जॉनसन ने कहा था कि समझौता तभी हो सकता है जब EU दोबारा इस पर विचार करे। वहीं EU ने ब्रिटेन पर डील को गंभीरता से नहीं लेने आरोप लगाए थे।
बोरिस जॉनसन ने जोर देकर कहा था कि अगर यह डील नहीं हुई तो भी ब्रिटेन फायदे में रहेगा।
तब ब्रिटेन को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की शर्तों पर यूरोपीय संघ के साथ कारोबार करना होगा। सरकार का मानना था कि गलत तरीके से ब्रिटेन के अलग होने से बंदरगाहों पर ग्रिड लॉक होने की आशंका बन जाएगी। इससे देश में कुछ चीजों की कमी हो जाएगी और खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ जाएंगी। ब्रिटेन 31 जनवरी को यूरोपीय यूनियन से बाहर हो गया था। इस प्रोसेस को ही ब्रेक्जिट कहा गया था। 31 दिसंबर को उसका इकोनॉमिक ट्रांजिक्शन पीरियड खत्म हो रहा है।
ब्रेक्जिट क्या है?
यूरोपियन यूनियन में 28 देशों की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी है। इसके तहत इन देशों में सामान और लोगों की बेरोक टोक आवाजाही होती है। ब्रिटेन के लोगों को लगता था कि EU में बने रहने से उसे नुकसान है। उसे सालाना कई अरब पाउंड मेंबरशिप के लिए चुकाने होते हैं।
दूसरे देशों के लोग उसके यहां आकर फायदा उठाते हैं। इसके बाद ब्रिटेन में वोटिंग हुई। ज्यादातर लोगों ने EU छोड़ने के लिए वोट दिया। इसके बाद 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन ने EU छोड़ दिया था।
जरूरत क्यों?
ब्रिटेन की यूरोपियन यूनियन में कभी चली ही नहीं। इसके उलट ब्रिटेन के लोगों की जिंदगियों पर ईयू का नियंत्रण ज्यादा है। वह व्यापार के लिए ब्रिटेन पर कई शर्तें लगाता है। ब्रिटेन के राजनीतिक दलों को लगता है कि अरबों पाउंड सालाना सदस्यता फीस देने के बाद भी ब्रिटेन को इससे बहुत फायदा नहीं होता। इसलिए ब्रेग्जिट की मांग उठी थी।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/the-uk-and-the-european-union-have-reached-a-post-brexit-free-trade-agreement-128047075.html
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