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Thursday, 31 December 2020
Job posted to Hacker News: Substack (YC W18) is hiring to build a better business model for writing
by jairajs89 | on Hacker News.
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर पर लोगों के बिना बॉल ड्रॉप इवेंट होगा, दुनिया के कई शहरों में जश्न पर रोक
2021 चौखट पर है। यह साल कोरोना की दहशत के बीच कुछ ज्यादा उम्मीदें लेकर आ रहा है। कई देशों में जश्न की तैयारी है, लेकिन बंदिशों के साथ। सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के नजदीक टोंगा आइलैंड पर नए साल का सूरज उगेगा और सबसे आखिरी में यह बेकर आइलैंड पर अपनी किरणें बिखेरेगा। महामारी के बीच कहां कैसे नए साल का स्वागत होगा, हम आपको बता रहे हैं।
टोंगा में सबसे पहले होती है नए साल की दस्तक
भारत में जब दोपहर के साढ़े तीन बज रहे होंगे उस समय पेसिफिक आईलैंड के टोंगा में नए साल की शुरुआत हो चुकी होगी। दुनिया के स्टैंडर्ड टाइम के हिसाब से माना जाता है कि यहीं सबसे पहले रात के 12 बजते हैं। हालांकि, यह ऐसा इलाका है जहां कोई आबादी नहीं रहती।
दुनिया के वो 4 शहर, जहां नए साल का जश्न सुर्खियों में रहता है
1. दुबई में बुर्ज खलीफा
यहां नए साल के स्वागत की पूरी तैयारी है। इस दौरान हर बार की तरह इस बार भी बुर्ज खलीफा पर आतिशबाजी, लाइट और लेजर शो होगा। लोगों को इस इलाके में बनाए गए पांच गेट से QR कोड दिखाकर एंट्री मिलेगी। यहां कोराना गाइडलाइन बेहद सख्ती से लागू की गई है। प्रोग्राम की इव स्ट्रीमिंग भी होगी। इसे mydubainewyear.com पर देखा जा सकेगा।
2. सिडनी का हार्बर ब्रिज
आस्ट्रेलिया के शहर सिडनी यहां की जोरदार आतिशबाजी के लिए मशहूर है। माना जाता है कि यह दुनिया का पहला शहर है, जहां नए साल का जश्न सबसे पहले मनाया जाता है। 31 दिसंबर की दोपहर से सिडनी के हार्बर ब्रिज पर फेरी रेस, म्यूजिकल इवेंट्स और सैन्य प्रदर्शनों के प्रोग्राम न्यू ईयर का हिस्सा होते हैं। इस साल भी ये होंगे, लेकिन कोरोना के कारण यहां लोगों के जुटने पर रोक लगाई गई है। सिडनी के लोग इसे लाइव देख सकेंगे।
3. ऑकलैंड का स्काई टावर
न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल है, जहां नया साल सबसे पहले दस्तक देता है। भारत में जब शाम के तकरीबन 4:30 बज रहे होंगे, तब न्यूजीलैंड की घड़ी रात के 12 बजा रही होगी। नए साल का सबसे पहला बड़ा ईवेंट न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में मनाया जाएगा। यहां के हार्बर ब्रिज पर 5 मिनट की आतिशबाजी के साथ नए साल का स्वागत होगा। न्यूजीलैंड का ऑकलैंड दुनिया का ऐसा इकलौता बड़ा शहर है, जहां नए साल की शुरुआत बिना किसी पाबंदी के हो रही है।
3. न्यूयॉर्क का टाइम्स स्क्वेयर
24 घंटे रोशनी से जगमगाने के लिए मशहूर न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर 31 दिसंबर की रात भीड़ नहीं दिखेगी। 31 दिसंबर की शाम ढलते ही न्यूयॉर्क की पुलिस टाइम्स स्क्वायर पर आम लोगों को जाने से रोक देगी। हालांकि, लोग वर्चुअली न्यू इयर का काउंटडाउन और बॉल ड्रॉप देख सकेंगे। सबसे पहली बार यहां बॉल 1907 में ड्रॉप की गई थी। इस साल टाइम्स स्क्वायर के ऊपर 7 फुट का न्यूमेरल्स रखा जाएगा।
टाइम्स स्क्वायर पर कैसे शुरू हुआ नए साल पर बॉल ड्रॉप
18वीं शताब्दी में बंदरगाहों पर हर दिन एक तय वक्त पर इसी तरह की बॉल ड्रॉप की जाती थी। इससे नाविकों को सिग्नल मिल जाता था और वे अपनी घड़ियों का टाइम सेट कर लेते थे। 1907 में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर पर पहली बार ईव बॉल गिराई गई।
इस सेलिब्रेशन का फंड न्यूयॉर्क टाइम्स के मालिक अल्फ्रेड ऑक्स ने दिया था। मौका था अखबार के दफ्तर के उद्घाटन का। लकड़ी और लोहे से तैयार पहली बॉल का वजन 317 किलो था। तब से यहां हर साल ‘टाइम्स स्क्वेयर बॉल ड्रॉप’ करने की परंपरा है।
युद्ध की वजह से यह बॉल 1942 और 1943 में नहीं गिरार्ई गई थी। आतिशबाजी की राख से जब जश्न मनाने आए लोग परेशान होने लगे तो यह सोचा गया कि आतिशबाजी कम की जाए और नए साल की शुरुआत के सिम्बल के तौर पर टाइम बॉल ड्रॉप की जाए। यह इवेंट कुछ ही सालों में पॉपुलर हो गया।
इन शहरों में जश्न पर रोक रहेगी
- सिंगापुर: मरीना बे रिसॉर्ट में इस साल सेलिब्रेशन नहीं होगा। पीपुल्स एसोसिएशन की आतिशबाजी की स्ट्रीमिंग कम्युनिटी फेसबुक पेज पर लाइव स्ट्रीमिंग होगी।
- पेरिस: पेरिस के आर्क डी ट्रियोम्फ पर नए साल के मौके पर होने वाले आतिशबाजी कार्यक्रम भी रद्द कर दिए गए हैं। यहां तक की कई स्थानों पर निजी पार्टियों के आयोजन पर भी रोक लगा दी गई है।
- बर्लिन: जर्मनी के बर्लिन शहर में भी नए साल पर आतिशबाजी और कल्चरल प्रोग्राम होते हैं। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक है।
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source https://www.bhaskar.com/national/news/new-york-times-square-new-years-ball-drop-2021-eve-party-ban-in-london-singapore-moscow-paris-berlin-128072027.html
अफगानिस्तान में भाड़े के लोगों से अमेरिकी सैनिकों पर हमले की साजिश रच रहा चीन, ट्रम्प को मिली रिपोर्ट
अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों पर खतरा मंडरा रहा है। यहां चीन स्थानीय लोगों को पैसा देकर इन सैनिकों पर हमले की साजिश रच रहा है। अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने चीन की इस साजिश के बारे में पुख्ता सबूत जुटाए हैं। पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को भी इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
अफगानिस्तान में तालिबान और सरकार के बीच अमन बहाली के लिए बातचीत जारी है। लेकिन, चीन और पाकिस्तान मिलकर यहां तालिबान को भड़काने में लगे हैं। यही वजह है कि सीजफायर की तमाम कोशिशें अब तक नाकाम साबित हुई हैं।
अमेरिकी एजेंसियों के पास सबूत
CNN ने चीन की इस साजिश के बारे में एक स्पेशल रिपोर्ट जारी की। इसमें अमेरिका के एक सीनियर अफसर ने कहा- हम जानते हैं कि चीन अब अफगानिस्तान में तैनात हमारे सैनिकों पर भाड़े के लोगों के जरिए हमले कराने की साजिश रच रहा है। इस बारे में राष्ट्रपति को 17 दिसंबर को पूरी जानकारी और रिपोर्ट दी गई है। अमेरिकी एनएसए रॉबर्ट ओ‘ब्रायन खुद यह रिपोर्ट लेकर ट्रम्प के ऑफिस पहुंचे। हालांकि, ट्रम्प को जानकारी मिलने के फौरन बाद यह रिपोर्ट कुछ मीडिया हाउसेज के हाथ भी लग गई।
रूस भी साजिश का हिस्सा
जानकारी के मुताबिक, साल की शुरुआत में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के रूस की साजिश के भी सबूत मिले थे। तब इनमें कहा गया था कि मॉस्को ने अमेरिकी सैनिकों को मारने पर इनाम की योजना बनाई है। इस बारे में भी ट्रम्प को जानकारी दी गई थी। ट्रम्प ने अब तक सार्वजनिक तौर पर इस बारे में बात नहीं की है।
बाइडेन पर तस्वीर साफ नहीं
CNN के मुताबिक, अब तक यह साफ नहीं है कि चीन की इस साजिश के बारे में प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन को जानकारी दी गई है या नहीं। हालांकि, उन्हें रोजाना इंटेलिजेंस ब्रीफिंग दी जा रही है। खास बात यह है कि व्हाइट हाउस और बाइडेन की ट्रांजिशन टीम ने अब तक इस बारे में मीडिया से कुछ नहीं कहा। अमेरिका में कई लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या ट्रम्प की चीन के प्रति जो आक्रामक रणनीति रही थी, बाइडेन भी उसको ही फॉलो करेंगे या उनका रवैया नर्म रहेगा।
हालांकि, कैम्पेन के दौरान बाइडेन ने कई बार चीन पर बेहद आक्रामक रुख दिखाया था। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ठग तक करार दे दिया थे। बाइडेन पर संशय इसलिए है क्योंकि ओबामा के दौर में जब वे वाइस प्रेसिडेंट थे, तब चीन को लेकर उनका रवैया काफी नर्म रहा था।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/china-may-attack-us-forces-in-afghanistan-president-donald-trump-received-information-128071814.html
अमेरिकी एक्सपर्ट ने कहा- सही वैक्सिनेशन हुआ तो जुलाई तक हालात नॉर्मल हो जाएंगे, बेल्जियम में सख्ती बढ़ी
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 8.30 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 88 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 18 लाख 10 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका के वायरल डिसीज एक्सपर्ट डॉक्टर एंथोनी फौसी ने कहा है कि अगर देश में वैक्सिनेशन सही तरीके से हुआ तो अगले साल के आखिर में हालात पहले की तरह यानी नॉर्मल हो सकते हैं। उधर, बेल्जियम ने बाहर से आने से वाले लोगों के लिए दो दिन का क्वारैंटाइन जरूरी कर दिया है।
वैक्सीनेशन सबसे ज्यादा जरूरी
अमेरिकी मेडिकल एक्सपर्ट और ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन में कोरोना टास्क फोर्स के मेंबर डॉक्टर फौसी ने कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसन को एक इंटरव्यू दिया। इसमें कहा- अगर अमेरिकी प्रशासन अपने नागरिकों का सही तरीके से और वक्त पर वैक्सिनेशन कराने में कामयाब रहा तो इसमें कोई दो राय नहीं कि 2021 के आखिर तक हालात बिल्कुल सामान्य हो जाएंगे। मुझे लगता है कि अप्रैल तक आते-आते हम बड़े पैमाने पर वैक्सिनेशन कर चुके होंगे। अप्रैल तक इसका असर दिखने लगेगा। आप ये मानकर चलिए कि हमारे लिए अप्रैल से लेकर जुलाई तक के महीने बहुत अहम होंगे।
फौसी ने एक सवाल के जवाब में कहा- अगर लोग वैक्सिनेशन कराते हैं तो हम जुलाई तक स्कूल, थिएटर, स्पोर्ट्स क्लब्स और रेस्टोरेंट्स में पहले की तरह जा सकेंगे। इसलिए मैं लोगों से फिर अपील करता हूं कि वे जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाएं।
बेल्जियम में नए नियम
बेल्जियम सरकार ने बुधवार को दो तरह की गाइडलाइन जारी कीं। इनमें बाहर यानी दूसरे देशों लोगों पर ज्यादा फोकस किया गया है। गाइडलाइन्स के मुताबिक, अब देश में प्रवेश करने वाले हर यात्री को दो दिन क्वारैंटाइन रहना होगा। इस दौरान उसके टेस्ट किए जाएंगे। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसे सरकारी अस्पतालों में रखा जाएगा। ऐसे हर यात्री का पहले और सातवें दिन टेस्ट किया जाना जरूरी होगा। जब तक उसकी रिपोर्ट निगेटिव नहीं आती तब तक उसे क्वारैंटाइन रहना होगा। ब्रिटेन से आने वाले लोगों पर बैन फिलहाल जारी है।
चीन में नए साल पर सख्ती
चीन ने कोरोना का फैलाव रोकने के लिए नए साल की छुट्टियों में लाखों प्रवासियों को सफर न करने की सलाह दी है। नेशनल हेल्थ कमीशन ने सीधे तौर पर तो इसके लिए मना नहीं किया, लेकिन फिर भी यह हैरान करने वाला फैसला है।
फरवरी में चीन में मनाया जाने वाला न्यू ईयर सबसे बड़ा ट्रेडिशनल हॉलिडे है। यह साल का इकलौता मौका होता है जब वर्कर्स को परिवार से मिलने के लिए घर जाने का मौका मिलता है।
नेशनल हेल्थ कमीशन का कहना है कि सरकार छ़ुट्टी पर घर न जाने के लिए लोगों को मोटिवेट कर रही है। जो वर्कर ऐसा करते हैं, उन्हें ओवरटाइम दिया जाना चाहिए और दूसरे मौकों पर छुट्टी की पेशकश करनी चाहिए। चीन ने अपने यहां कोरोना वायरस पर काबू कर लिया है। यह दोबारा फैलने की आशंका से अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं। इसके लिए टूरिस्टों को छुट्टी के दौरान राजधानी बीजिंग न आने के लिए कहा गया है।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 20,216,991 | 350,778 | 11,998,794 |
भारत | 10,267,283 | 148,774 | 9,859,762 |
ब्राजील | 7,619,970 | 193,940 | 6,707,781 |
रूस | 3,131,550 | 56,426 | 2,525,418 |
फ्रांस | 2,574,041 | 64,078 | 191,806 |
यूके | 2,432,888 | 72,548 | N/A |
तुर्की | 2,194,272 | 20,642 | 2,078,629 |
इटली | 2,083,689 | 73,604 | 1,445,690 |
स्पेन | 1,906,057 | 50,442 | N/A |
जर्मनी | 1,693,712 | 32,498 | 1,302,600 |
(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)
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source https://www.bhaskar.com/international/news/coronavirus-pandemic-country-wise-cases-live-news-and-update-31-december-128071795.html
2 साल से छोटे बच्चों को कैंडी-केक नहीं देंगे पर बड़ों के लिए कृत्रिम शकर घटाने की सलाह सरकार ने नहीं मानी
अमेरिका कोरोना से सबसे प्रभावित देश है। यहां सबसे अधिक केस सामने आ रहे हैं और मौतें भी सर्वाधिक हो रही हैं, लेकिन फेडरल सरकार ने वैज्ञानिकों की सलाह दरकिनार कर खानपान संबंधी नई गाइडलाइन जारी कर दी।
दरअसल, अमेरिका में एग्रीकल्चर विभाग और डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज मिलकर हर पांच साल में खानपान संबंधी गाइडलाइन जारी करते हैं। सरकार इसका उपयोग स्कूलों में लंच मेन्यू आदि के मानक तय करने और खानपान संबंधी विभिन्न नीतियां बनाने में करती है।
आम अमेरिकी भी खानपान का पैमाना इसी से तय करते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न कंपनियां भी इसी के आधार पर अपने खाद्य उत्पाद अपडेट करती हैं। मंगलवार को जारी गाइडलाइन में अनुशंसा की गई है कि 2 साल से छोटे बच्चों को कृत्रिम शकर वाले प्रॉडक्ट देने से परहेज किया जाए। वहीं ड्रिंक और कृत्रिम शकर के मामले में 2015 की गाइडलाइन को ही दोहराया गया है।
इसमें कहा गया है कि नागरिक कुल कैलोरी में कृत्रिम शकर की मात्रा अधिकतम 10 फीसदी रखें और पुरुष रोज दो ड्रिंक से अधिक न लें। वहीं महिलाओं को रोज एक से अधिक ड्रिंक न लेने की सलाह दी गई है। ड्रिंक और कृत्रिम शकर संबंधी दोनों अनुशंसाएं जुलाई में वैज्ञानिकों की सलाह के विपरीत है।
वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया था कि प्रत्येक व्यक्ति को कृत्रिम शकर की मात्रा कुल कैलोरी की 6 फीसदी से कम कर देनी चाहिए और पुरुषों को रोज एक ड्रिंक से अधिक नहीं लेना चाहिए। ताजा गाइडलाइन पर आलोचकों ने सवाल उठाया है कि इसमें महामारी का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया है।
वैज्ञानिकों ने कहा था कि प्रमाण बताते हैं कि पेय पदार्थों में इस्तेमाल कृत्रिम शकर से मोटापा बढ़ता है। इससे हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। मालूम हो, अमेरिका में दो तिहाई से अधिक वयस्क मोटापे, डायबिटीज और अन्य संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं। इससे कोविड-19 के गंभीर होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
मात्रा सीमित करना सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य
सांता क्लारा यूनिवर्सिटी के डॉ. वेस्टली क्लार्क ने कहा कि अधिक पीना सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन सामान्य ड्रिंकिंग से ऐसा होने के सबूत नहीं हैं। ड्रिंक की मात्रा सीमित करना कई लोगों के लिए सामाजिक, धार्मिक या सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य हो सकता है। इसका बाकी गाइडलाइन पर उल्टा प्रभाव पड़ सकता है।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/candy-cakes-will-not-be-given-to-children-below-2-years-but-the-government-did-not-accept-the-advice-to-reduce-artificial-sugar-for-adults-128071787.html
न्यूयॉर्क सिटी में छोटा पंजाब, रिचमंड हिल की सड़कों पर अंग्रेजी कम और पंजाबी ज्यादा सुनाई देती है
न्यूयॉर्क का रिचमंड हिल इलाका मुख्य शहर मैनहट्टन से 15 मील दूर है। लेफर्ट्स बोलिवर्ड इस इलाके का अंतिम रेलवे स्टेशन हैं। यहां की सड़कों पर चलिए तो अंग्रेजी कम और पंजाबी ज्यादा सुनाई देती है। गाड़ियों की आवाज से तेज पंजाबी रैप सॉन्ग सुनाई देते हैं। ऐसा महसूस होता है कि आप लुधियाना की सड़कों पर घूम रहे हैं? लेकिन हकीकत में यह न्यूयॉर्क के पांच नगरों में से एक क्वींस नगर का इलाका है। इसे छोटा पंजाब के नाम से जाना जाता है।
रिचमंड हिल के इस इलाके में पूरी तरह पंजाबी संस्कृति, बोली और रहन-सहन हावी है। पंजाबी लोगों से भरे इस इलाके में लोग असली पंजाबी पराठे का आनन्द लेने आते हैं। सड़कों पर ऐसे लोग मिल जाएंगे, जिनसे अंग्रेजी की बजाय पंजाबी या हिंदी में बात करना ज्यादा आसान है। हेयर सैलून में शाहरुख और सलमान खान स्टाइल में बाल कटवाने के लिए 10 डॉलर लगते हैं।
यह इलाका पूरे न्यूयॉर्क में इसलिए भी प्रसिद्ध हो गया है, क्योंकि मेयर ने यहां की दो सड़कों का नाम बदल कर पंजाबी कम्युनिटी को समर्पित किया है। न्यूयॉर्क सिटी काउंसिल ने 111 स्ट्रीट और 123 स्ट्रीट के बीच स्थित 101 एवेन्यू का नाम पंजाबी एवेन्यू कर दिया है। साथ ही, 97 एवेन्यू का नाम बदलकर गुरुद्वारा स्ट्रीट कर दिया है। यह वही इलाका है जहां एक बड़ा गुरुद्वारा है।
नाम बदलने के लिए अभियान चलाने वाली स्थानीय काउंसिल वूमेन एड्रिएन एडम्स कहती हैं कि यह निर्णय पंजाबी समुदाय द्वारा शहर के विकास में उनके योगदान को दर्शाता है। ढाबा चलाने वाले 28 साल के तेजिंदर सिंह बताते हैं कि वे 90 के दशक में रिचमंड हिल्स आए थे। यहां 70 के दशक में पंजाबी समुदाय का आना शुरू हो गया था।
सबसे मेहनती लोगों में हैं दक्षिण एशियाई: एडम्स
स्थानीय काउंसिल वूमेन एड्रिएन एडम्स कहती हैं कि दक्षिण एशियाई लोग देश में सबसे मेहनती लोगों में से एक हैं। लेकिन, उनकी कम्युनिटी ज्यादातर अदृश्य जैसी रहती है। सड़कों का नाम भी इसलिए बदला, ताकि शहर के विकास में उनका योगदान दर्ज हो। क्वींस वही इलाका है जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पैदा और बड़े हुए।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/chhota-punjab-resides-in-new-york-city-english-is-less-and-punjabi-is-heard-more-on-the-streets-of-richmond-hill-128071764.html
Wednesday, 30 December 2020
खैबर पख्तूनख्वा में मंदिर पर भीड़ ने हमला बोला, तोड़फोड़ कर आग लगाई
पाकिस्तान में एक बार मंदिर तोड़ने की घटना सामने आई है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में बुधवार को स्थानीय लोगों की भीड़ ने एक मंदिर पर धावा बोल दिया। भीड़ ने मंदिर को तहस नहस कर लिया। इसके बाद उन्होंने मंदिर को आग के हवाले कर दिया। सोशल मीडिया पर मामले की वीडियो वायरल हो रहा है।
वीडियो में भीड़ मंदिर की दीवारें और छत तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तान में हिंदु अल्पसंख्यकों के खिलाफ आए दिन कुछ न कुछ होता रहता है। इसकी वहां और दुनिया के अन्य हिस्सों के ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स आलोचना करते रहते हैं।
पाकिस्तानी जर्नलिस्ट ने शेयर किया वीडियो
पाकिस्तान के एक जर्नलिस्ट के मुताबिक, हिंदुओं ने मंदिर का विस्तार करने के लिए प्रशासन से मंजूरी ले ली थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने भीड़ जुटाई और मंदिर को तोड़ डाला। यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस ने इस दौरान कोई कार्रवाई नहीं की और चुपचाप खड़ी देखती रही।
पुलिस तमाशा देखती रही
लंदन बेस्ड ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह नया पाकिस्तान है। करक में आज एक हिंदु मंदिर को बर्बाद किया। इस इलाके में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की हुकूमत है। पुलिस ने भी भीड़ को रोकने की कोशिश नहीं की, क्योंकि वे धार्मिक नारे लगा रहे थे। घटना की जितनी निंदा की जाए, वह कम है।
कट्टरपंथी पर दोहरा चरित्र सामने आया
रिसर्चर और जर्नलिस्ट राबिया महमूद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि करक में मंदिर में हिंसक भीड़ ने तोड़फोड़ की और उसे बर्बाद कर दिया। जहां भारत में हिंदुत्व के उदय पर कट्टरपंथी पाकिस्तान सरकार की निंदा करते हैं, वहीं यहां गैर-मुस्लिम पाकिस्तानियों पर हमला करने से वे नहीं चूकते।
घटना बहुत ही शर्मनाक
एक ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट इहतेशाम अफगान ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह घटना बहुत ही शर्मनाक है। इससे यह साफ होता है कि हम अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। आप तक तक फेडरेशन नहीं चला सकते, जब तक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं होती।
भड़काऊ भाषण के बाद हमला किया
डेली न्यूज के मुताबिक, सुन्नी देवबंदी पॉलिटिकल पार्टी जमियत उलेमा-ए-इस्लाम-फज्ल (JUI-F) के स्पीकर ने अपनी रैली के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था। जिसके बाद भीड़ आक्रामक हो गई और मंदिर पर हमला कर दिया। हालांकि पार्टी के आमिर मौलाना अताउर रहमान ने कहा कि उनकी पार्टी का मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हो रहा था मंदिर का जीर्णोद्धार
करक जिले के तेरी गांव के मंदिर का 2015 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक विस्तार किया जा रहा था। इस मंदिर को इससे पहले 1997 में एक स्थानीय मुफ्ती ने नष्ट कर दिया था और इस पर अवैध कब्जा कर लिया था।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/hindu-temple-destroyed-set-on-fire-by-mob-in-pakistans-khyber-pakhtunkhwa-province-128069050.html
ब्रिटेन की संसद में डील पास, PM जॉनसन और EU लीडर्स ने साइन किए; एक जनवरी से लागू होगी
ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन (EU) के बीच ब्रेग्जिट डील आखिरकार पूरी हो गई। चार साल की रस्साकशी के बाद बुधवार को ब्रिटेन के PM बोरिस जॉनसन ने ब्रेग्जिट ट्रेड डील पर साइन कर दिए। इसके साथ ही ब्रिटेन और EU का ऐतिहासिक रिश्ता टूट गया। हल्के विरोध के बीच ज्यादातर सांसदों ने इसके पक्ष में वोटिंग की। EU में भी सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद यह बिल (EU फ्यूचर रिलेशनशिप ) 1 जनवरी 2021 से लागू हो जाएगा।
PM जॉनसन ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बहस के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर डील पर साइन करते हुए अपनी तस्वीर भी पोस्ट की। उन्होंने लिखा कि इस डील पर साइन करके हम ब्रिटिश लोगों की इच्छा को पूरा कर रहे हैं। वे अपने बनाए कानूनों के दायरे में जियेंगे, जिन्हें उनकी चुनी हुई संसद ने बनाया है।
यूरोपीय संघ की चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने सोशल मीडिया पर कहा कि उन्होंने और यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने ब्रुसेल्स में EU-UK ट्रेड और को-ऑपरेशन एग्रीमेंट पर साइन कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत लंबा रास्ता था। अब ब्रेग्जिट को पीछे छोड़ने का वक्त आ गया है। हमारा भविष्य यूरोप में है।
4 साल पहले UK ने किया था EU से अलग होने का फैसला
UK ने जून 2016 में EU से अलग होने का फैसला किया था। ऐतिहासिक रेफरेंडम में ब्रिटेन की जनता ने 28 देशों के EU से अलग होने के पक्ष में वोटिंग की। इसके बाद EU ने UK को अलग होने के लिए 31 मार्च 2018 तक का समय दिया।
हालांकि, तब ब्रिटिश सांसदों ने यूरोप से बाहर होने की सरकार की शर्तों को नामंजूर कर दिया था। इसके बाद EU ने ब्रेग्जिट की तारीख को 31 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया। इसके बाद संसद ने भी सरकार की शर्तें नामंजूर कर दीं और ब्रेग्जिट की तारीख बढ़ाकर 31 जनवरी कर दी थी।
ब्रिटेन को EU में रहना घाटे का सौदा लगता था
EU में 28 देशों की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी थी। इसके तहत इन देशों में सामान और लोगों की बेरोकटोक आवाजाही होती है। ब्रिटेन को लगता था कि EU में बने रहने से उसे नुकसान है। उसे सालाना कई अरब पाउंड मेंबरशिप के लिए चुकाने होते हैं। दूसरे देशों के लोग उसके यहां आकर फायदा उठाते हैं। इसके बाद ब्रिटेन में वोटिंग हुई। ज्यादातर लोगों ने EU छोड़ने के लिए वोट दिया। इसके बाद 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन ने EU छोड़ दिया था।
ब्रेग्जिट की जरूरत क्यों पड़ी?
ब्रिटेन की यूरोपियन यूनियन में कभी चली ही नहीं। इसके उलट ब्रिटेन के लोगों की जिंदगियों पर EU का नियंत्रण ज्यादा है। वह कारोबार के लिए ब्रिटेन पर कई शर्तें लगाता है। ब्रिटेन के सियासी दलों को लगता था कि अरबों पाउंड सालाना मेंबरशिप फीस देने के बाद भी ब्रिटेन को इससे बहुत फायदा नहीं होता। इसलिए ब्रेग्जिट की मांग उठी थी।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/british-pm-johnson-signs-eu-trade-deal-to-reach-post-brexit-agreement-128068664.html
सऊदी अरब से नई सरकार के मंत्रियों को लेकर आए विमान के पास ब्लास्ट, 5 की मौत, कई घायल
अरब देश यमन के अदन एयरपोर्ट पर बुधवार को बड़ा धमाका हुआ। ब्लास्ट से तुरंत पहले देश की नई कैबिनेट के मंत्रियों को लेकर एक विमान ने लैंड हुआ था। विमान के उतरते ही उसके पास यह धमाका हुआ। इस दौरान फायरिंग भी हुई। ब्लास्ट में 5 लोगों के मारे जाने की खबर हैं। हालांकि आंकड़ा अभी बढ़ सकता है। लोकल मीडिया के मुताबिक, सरकार के किसी मंत्री के घायल होने की सूचना नहीं है।
धमाके में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। इनकी संख्या अभी सामने नहीं आई, लेकिन मौके पर मौजूद अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने एयरपोर्ट पर कई शव देखे हैं। अधिकारियों ने अपनी पहचान नहीं बताई क्योंकि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं थे। घटना के बाद सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरों में एयरपोर्ट की इमारत के पास मलबा और टूटे कांच दिखाई दे रहे हैं।
विद्रोहियों से समझौते के बाद देश लौटे थे मंत्री
यमन काफी वक्त से गृहयुद्ध से जूझ रहा है। एक समझौते के तहत यहां के प्रधानमंत्री मीन अब्दुल मलिक सईद के साथ सरकार के कई मंत्री अदन लौटे थे। यह समझौता पिछले हफ्ते ही प्रतिद्वंद्वी गुट के अलगाववादियों के साथ किया गया था। मलिक की सरकार का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल है। कई साल से चल रहे गृहयुद्ध के दौरान वह ज्यादातर वक्त निर्वासित रहे। यह सरकार सऊदी अरब की राजधानी रियाद से काम कर रही थी।
सऊदी अरब में रह रहे यमन के राष्ट्रपति अबेद रब्बो मंसूर हादी ने इस महीने की शुरुआत में मंत्रिमंडल में फेरबदल की घोषणा की थी। इसे अलगाववादियों के साथ चल रही लड़ाई को खत्म करने की दिशा में बड़े कदम के रूप में देखा गया था।
यमन की सऊदी अरब समर्थित सरकार ईरान के समर्थन वाले विद्रोहियों के साथ युद्ध कर रही है। उनका उत्तरी यमन के साथ-साथ देश की राजधानी सना पर भी नियंत्रण है। पिछले साल, विद्रोहियों ने अदन में एक मिलिट्री बेस में चल रही परेड में मिसाइल दागी थी। इसमें कई सैनिक मारे गए थे।
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ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को मंजूरी, भारत में भी इसी हफ्ते अप्रूवल की उम्मीद
देश के लिए अच्छी खबर ब्रिटेन से आई है। भारत में जिस कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले मंजूरी मिलने की उम्मीद है, उसे बुधवार को ब्रिटेन ने इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया। इस वैक्सीन का नाम है कोवीशील्ड। इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर तैयार किया है। भारत में यह वैक्सीन पुणे का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया यानी SII बना रहा है। कोवीशील्ड को ब्रिटेन में मंजूरी मिलने से इसी हफ्ते भारत में भी इसे इमरजेंसी अप्रवूल मिलने का रास्ता खुल गया है।
ब्रिटेन में अब तक दो वैक्सीन और दुनिया में 9वीं वैक्सीन को मंजूरी
ब्रिटेन में पहले फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिला था। कोवीशील्ड दूसरी वैक्सीन है, जिसे मंजूरी मिली है। अमेरिका भी अब तक फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी दे चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना की 9वीं वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है।
ब्रिटेन में कोवीशील्ड के 10 करोड़ डोज सप्लाई होंगे
एस्ट्राजेनेका का दावा है कि कोवीशील्ड का पहला डोज बुधवार को ही रिलीज हो जाएगा। नए साल की शुरुआत से वैक्सीनेशन शुरू किया जा सकेगा। कंपनी की 10 करोड़ डोज सप्लाई करने की ब्रिटेन सरकार से डील है। ब्रिटेन के सरकारी डेटा के मुताबिक, अब तक करीब छह लाख लोगों को वैक्सीनेट किया जा चुका है।
भारत में इसी हफ्ते अप्रूवल मिलने की उम्मीद
SII ने ड्रग रेगुलेटर से कोवीशील्ड के लिए ही इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। पिछले हफ्ते सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने कहा था कि ब्रिटेन में इस वैक्सीन को अप्रूवल मिलने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा। कमेटी ने SII से कुछ डेटा मांगा था, जो पिछले हफ्ते जमा कर दिया गया है। अदार पूनावाला ने दो दिन पहले कहा था कि वैक्सीन को जनवरी के पहले हफ्ते में अप्रूवल मिलने की उम्मीद है।
SII में 6 करोड़ डोज तैयार
पूनावाला के मुताबिक, सीरम इंस्टिट्यूट ने अपनी रिस्क पर करीब छह करोड़ डोज तैयार कर लिए हैं। फरवरी तक 10 करोड़ वैक्सीन डोज तैयार कर लिए जाएंगे। जैसे ही इमरजेंसी अप्रूवल मिलेगा, वैक्सीन की डिलीवरी शुरू हो जाएगी। सरकार को 250 रुपए और आम भारतीयों को 500 रुपए में वैक्सीन का एक डोज मिलेगा।
कोवीशील्ड 62% तक असरदार
एस्ट्राजेनेका ने 23 नवंबर को फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स के नतीजे घोषित किए थे। इसके मुताबिक, जब एक हाफ और एक फुल डोज दिया गया तो वह 90% तक असरदार रही। वहीं, दो फुल डोज देने पर 62% असरदार रही।
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कोरोना वैक्सीन के 6 फॉर्मूले तैयार, पर कोई खरीदार नहीं; पाकिस्तानियों को भी उनकी वैक्सीन पर विश्वास नहीं
कोरोनावायरस के खात्मे के लिए कई देशों ने बड़ी कंपनियों की वैक्सीन की बुकिंग करवाई है, लेकिन चीन की वैक्सीन भरोसे के ट्रायल में फेल साबित हो रही है। दुनिया को कोरोना बांटने वाले चीन ने अब वैक्सीन का भंडार तैयार कर लिया है। उसके पास वैक्सीन के छह फॉर्मूले तैयार हैं, लेकिन कोई देश उसकी वैक्सीन पर भरोसा नहीं कर रहा।
चीन की वैक्सीन का सऊदी अरब, तुर्की, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान जैसे देशों में ट्रायल जरूर चल रहा है, लेकिन जनता में सर्वे और अधिकारियों के बयान बताते हैं कि चीन इन देशों के करोड़ों लोगों को यह आश्वस्त करने में असफल रहा है कि उसकी वैक्सीन सुरक्षित है।
कराची के एक राइड-ऐप के बाइक चालक फरमान अली शाह ने कहा, ‘मैं वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा, मुझे उस पर भरोसा नहीं।’ चीन के पक्के दोस्त पाकिस्तान के लोगों का यह रूख ऐसे समय सामने आया है, जब चीन ने इसी साल वहां सड़क से पॉवर स्टेशन तक 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक निवेश किए है। यहां हालात यह है कि दो ट्रायल में बड़े सरकारी अफसरों को शामिल करना पड़ा है।
ब्राजील में लोगों को चीन पर भरोसा नहीं
वहीं, ब्राजील में सर्वे में सामने आया कि 50% लोग चीनी वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते। 36% ने कहा कि वे रूसी वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। दरअसल, वैक्सीन चीन को दर्जनों ऐसे गरीब देशों को साधने में बड़ी राजनयिक बढ़त दिला सकती थी, जिन्हें पश्चिमी देशों की वैक्सीन नहीं मिल पा रही है। इस अविश्वास और गरीब देशों की चीन पर निर्भरता से दुनिया के सामने बड़ा राजनीतिक संकट पैदा खड़ा कर दिया है। लोगों को लग रहा है कि उन्हें दोयम दर्जे की चीनी वैक्सीन दी जाएगी।
इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि सिनोवैक के अंतिम स्टेज की ट्रायल के नतीजों की कुछ ही जानकारी सार्वजनिक की गई है। जबकि अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों ने पूरे आंकड़े दिए हैं। इस अनिश्चितता से चीन के एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में प्रभाव बढ़ाने के अभियान को बड़ा झटका लगा है।
चीन पर भरोसे न करने की पर्याप्त वजहें
चीन की वैक्सीन पर इसलिए भी लोग भरोसा नहीं कर रहे क्योंकि उसने बहुत से देशों को घटिया मास्क, टेस्ट किट और PPE सूट निर्यात किए थे। चीन के विदेश मंत्रालय ने ब्लूमबर्ग से कहा कि चीनी वैक्सीन दो फेज के ट्रायल में सुरक्षित पाई गई है। अब तक विपरीत प्रभाव नहीं दिखा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि जिन सरकारों ने वैक्सीन के डोज की बुकिंग नहीं करवाई है, उनके पास चीन की वैक्सीन की एकमात्र विकल्प होगा। क्योंकि अगले साल तक बनने वाले करीब 1200 करोड़ डोज का तीन चौथाई हिस्सा अमीर देश बुक करवा चुके हैं।
चीन की वैक्सीन कंपनियों के 16 देशों में तीसरे चरण के ट्रायल चल रहे हैं। अब तक यूएई और स्वयं चीन ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी है। ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो चीनी वैक्सीन पर हमला कर चुके हैं। वे कई बार बोल चुके हैं कि चीन की वैक्सीन नहीं खरीदेंगे।
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पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ गिरफ्तार, मरियम बोलीं- उन्हें अगवा किया गया
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और नवाज शरीफ की पार्टी PML-N के नेता ख्वाजा आसिफ को आय से अधिक संपत्ति के मामले में मंगलवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। यह कार्रवाई नेशनल अकांउटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने की है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी और प्रमुख विपक्षी नेता मरियम नवाज ने आसिफ की गिरफ्तारी को तानाशाही बताया। मरियम ने कहा- मैं साफ कर देना चाहती हूं कि आसिफ को गिरफ्तार नहीं किया गया, उन्हें अगवा किया गया है।
गिरफ्तारी के बारे में जानते थे आसिफ
PML-N की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने आसिफ की गिरफ्तारी के बाद कहा- आसिफ जानते थे कि सरकार विपक्ष पर दबाव बनाने और उनका आंदोलन खत्म करने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है। वे यह भी जानते थे कि उन्हें किसी भी वक्त गिरफ्तार किया जा सकता है। वे इसके लिए तैयार थे। सवाल यह है कि सरकार कितने नेताओं को गिरफ्तार करेगी।
आसिफ को आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया गया है। खास बात यह है कि उनके खिलाफ पहले से कोई मामला दर्ज नहीं था। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मंगलवार को ही केस दर्ज किया गया और इसके फौरन बाद आसिफ को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के वक्त आसिफ PML-N के सेक्रेटरी अहसन इकबाल के घर थे।
अभी और नेता गिरफ्तार होंगे
‘जियो न्यूज’ के शो कैपिटल टॉक में एंकर हामिद मीर ने कहा- विपक्षी दलों का गठबंधन जानता है कि सरकार उसके नेताओं को गिरफ्तार करके दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। आसिफ का ही मिसाल ले लीजिए। वे जानते थे कि उन्हें किसी भी वक्त गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लिहाजा, वे जहां-जहां जाते थे एक बैग अपने साथ रखते थे। अभी कुछ और नेताओं को गिरफ्तार किया जा सकता है।
आसिफ को अगवा किया गया
मरियम नवाज ने पिछले दिनों लाहौर रैली में कहा था- सरकार को जो करना है वो कर ले। हम अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। अपने सीनियर लीडर की गिरफ्तारी पर मरियम ने कहा- किसने कहा है कि यह गिरफ्तारी है। आसिफ साहब को अगवा किया गया है। अफसर कई दिन से उनके पीछे घूम रहे थे। सरकार समझ चुकी है कि अब उसके जाने का वक्त आ गया है। बौखलाहट में इस तरह की हरकतें की जा रही हैं। आसिफ ने पहले ही कह दिया था कि सरकार को जो करना है, वो कर ले।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/pakistan-ex-pm-nawaz-sharif-daughter-maryam-nawaz-on-imran-khan-govt-over-khawaja-asif-arrested-in-da-case-128068218.html
ब्रिटेन में एक दिन में 53 हजार से ज्यादा मामले, नया स्ट्रैन अमेरिका पहुंचा
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 8.22 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 83 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 17 लाख 95 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन में वैक्सीनेशन शुरू होने और कुछ हिस्सों में लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण कम होने का नाम नहीं ले रहा। यहां मंगलवार को एक ही दिन में 53 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। ब्रिटेन में पाए गए कोविड-19 के नए वैरिएंट से संक्रमित पहला मामला अमेरिका में भी मिला है।
ब्रिटेन में हालात बिगड़े
ब्रिटेन में एक दिन में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को देश में कुल 53 हजार 135 नए मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी सोमवार को 40 हजार मामले सामने आए थे। मंगलवार को जहां 53 हजार से ज्यादा मामले सामने आए तो इसी दौरान 414 लोगों की मौत भी हो गई। हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक बयान में कहा- हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि क्रिसमस के बाद नया डेटा सामने आया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में संक्रमण बहुत तेजी से फैला है।
नए स्ट्रैन की अमेरिका में दस्तक
ब्रिटेने में पिछले हफ्ते पाए गए नए स्ट्रैन यानी कोविड-19 के नए वैरिएंट ने अब अमेरिका में भी दस्तक दे दी है। यहां कोलारैडो के एक अस्पताल में एक मरीज में नए स्ट्रैन के लक्षण मिले हैं। यह मामला सामने आने के बाद अमेरिकी एडमिनिस्ट्रेशन सतर्क हो गया है। अमेरिका में पहले ही हालात खराब हैं और नए स्ट्रैन के बारे में कहा जा रहा है कि यह पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैलता है। खास बात यह है कि कोलारैडो के जिस 20 साल के लड़के में नया स्ट्रैन पाया गया है उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। लिहाजा, हेल्थ अफसर यह मानकर चल रहे हैं कि ऐसे और भी मामले सामने आ सकते हैं।
चीन के वुहान पर नया खुलासा
चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की एक स्टडी के मुताबिक, वुहान में लगभग पांच लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। यह लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से दिए गए डेटा से 10 गुना ज्यादा है। स्टडी के लिए वुहान के अलावा बीजिंग, शंघाई समेत दूसरे शहरों से सैम्पल लिए गए थे।
वुहान में ही सबसे पहले दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस के मामले सामने आए थे। रिसर्चर्स के मुताबिक, यहां की कुल आबादी एक करोड़ दस लाख में से 4.43% के शरीर में एंटीबॉडी पाई गई। वुहान म्युनिसिपल हेल्थ कमीशन ने यहां कुल 50 हजार 354 मामलों की पुष्टि की थी।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/coronavirus-pandemic-country-wise-cases-live-news-and-update-30-december-128068118.html
इस साल इस्तेमाल किए गए 150 करोड़ मास्क समुद्र में जाएंगे, 6800 टन से ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण होगा
कोरोनावायरस स्वास्थ्य के साथ-साथ विभिन्न तरह की बहुस्तरीय समस्याएं लेकर आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस्तेमाल किए गए मास्क की वजह से इस साल समुद्री इकोसिस्टम भी बहुत ज्यादा प्रदूषित होगा।लगभग 150 करोड़ इस्तेमाल किए गए फेस मास्क विभिन्न माध्यमों से इस साल समुद्र में पहुंचेंगे।
इन हजारों टन प्लास्टिक से समुद्री जल में फैले प्रदूषण के कारण समुद्री वन्य जीवन को भारी नुकसान होगा। हॉन्गकॉन्ग की पर्यावरण संरक्षण संस्था ओसियन्स एशिया ने इस संबंध में एक ग्लोबल मार्केट रिसर्च के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है।
5200 करोड़ मास्क इस साल बने हैं
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनावायरस की वजह से इस साल लगभग 5200 करोड़ मास्क बने हैं। परंपरागत गणना के आधार पर इसका 3 फीसदी समुद्र में पहुंचेगा। ये सिंगल यूज फेस मास्क मेल्टब्लॉन किस्म के प्लास्टिक से बना होता है। इसके कम्पोजिशन, खतरे और इंफेक्शन की वजह से इसे रिसाइकिल करना काफी मुश्किल होता है। यह हमारे महासागरों में तब पहुंचता है जब यह कूड़े में होता या लापरवाही से कहीं भी फेंक दिया जाता है या जब हमारा कचरा प्रबंधन सिस्टम अपर्याप्त या फेल हो जाता है। प्रत्येक मास्क का वजन तीन से चार ग्राम होता है।
इस स्थिति में लगभग 6800 टन से ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण पैदा होगा। इसे खत्म होने में लगभग 450 साल लगेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मास्क को कान में लगाने के लिए लगा रबर या प्लास्टिक रस्सी समुद्री जीवों के लिए उलझाव का कारण बन रही है। अगस्त में मियामी बीच पर सफाई के दौरान डिस्पोजेबल मास्क में फंस कर एक मरी हुई पफर फिश मिली थी। सितंबर में ब्राजील में एक मरी हुई पेंग्विन मिली थी, जिसके पेट में मास्क पाया गया था।
दोबारा इस्तेमाल होने और धुलने वाले मास्क का उपयोग हो- रिपोर्ट
रिपोर्ट में इस खतरे से बचने के लिए बार बार इस्तेमाल होने वाले और धुलने वाले कपड़े से बने मास्क पहनने का सुझाव दिया गया है। ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी ने जानवरों की सुरक्षा के लिए हाल ही में सुझाव दिया था कि अपना मास्क फेंकने के पहले उसका कान में लगाने वाला स्ट्रैप निकाल दिया करें।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/150-crore-masks-used-this-year-will-go-to-sea-more-than-6800-tons-of-plastic-pollution-128068043.html
नौसेना के 5 जहाजों से 1776 रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश ने ‘एकांत’ द्वीप भेजा; मानवाधिकार संगठनों ने विरोध जताया
मानवाधिकार संगठनों की आपत्ति के बावजूद बांग्लादेश की नौसेना ने मंगलवार को 1776 रोहिंग्या शरणार्थियों को ‘एकांत’ द्वीप भेजा। उन्होंने चटगांव के बंदरगाह से पांच जहाजों के जरिए भासन चार द्वीप ले जाया गया। शरणार्थी तीन घंटे में वहां पहुंच गए।
इसे लेकर मानवाधिकार संगठनों का आरोप है- ‘शरणार्थियों पर दबाव बनाया गया। बांग्लादेश रोहिंग्याओं को आइलैंड पर कैद करना चाहता है।’ उधर, प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक, ‘सरकार वहां सिर्फ 700 रोहिंग्याओं को भेजना चाहती थी।
लेकिन 1500 लोग स्वेच्छा से वहां जाने के लिए तैयार हो गए। इसलिए सिर्फ उन्हीं लोगों को भेजा गया, जो वाकई द्वीप पर रहना चाहते हैं। उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया गया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बांग्लादेश ने 825 करोड़ रुपए खर्च कर 20 साल पुराने भासन चार द्वीप को रेनोवेट किया है। यहां करीब एक लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाया जा रहा है। यह द्वीप भू-भाग से 34 किमी दूर है। मालूम हो, बांग्लादेश की आबादी 16.15 करोड़ है। लेकिन यहां के कॉक्स बाजार जिले में करीब 8 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर शरणार्थी म्यांमार के हैं।
मानसून की बारिश में डूब जाता है द्वीप
भासन चार द्वीप 20 साल पहले अस्तित्व में आया था। यह बारिश में अक्सर यह डूब जाता है। लेकिन बांग्लादेश की नौसेना ने 11.2 करोड़ डॉलर (करीब 825 करोड़ रु.) की लागत से द्वीप के तटबंधों की मरम्मत की। मकानों, अस्पतालों और मस्जिदों का निर्माण किया। इससे पहले अधिकारियों ने 4 दिसंबर को 1642 रोहिंग्या शरणार्थियों को द्वीप पर भेजा था। इसे लेकर मानवाधिकार संगठनों ने विरोध जताया था।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/the-navy-of-bangladesh-sent-1776-rohingya-refugees-from-5-ships-to-the-secluded-island-human-rights-organizations-protest-128068042.html
Tuesday, 29 December 2020
निर्वासित तिब्बती संसद के उप-सभापति आचार्य यशी बोले-मसले के हल के लिए चीन से बात बेहद जरूरी
छह दशक से अधिक समय से तिब्बत की आजादी को संघर्ष चल रहा है। इसी संघर्ष के बीच मंगलवार को निर्वासित तिब्बती संसद के उप-सभापति आचार्य यशी ने अपनी राय रखी है। आज प्रेसवार्ता में आचार्य यशी ने कहा कि इस संघर्ष को फलीभूत करने के लिए चीन के साथ बात किया जाना जरूरी हैं। कम से कम 2 से 3 बार बात होगी, तब कहीं इस मसले का हल निकल सकता है।
निर्वासित तिब्बती संसद के उप-सभापति आचार्य यशी ने बताया कि आगामी रविवार 3 जनवरी 2021 को निर्वासित तिब्बती संसद के चुनाव हैं। तिब्बती समुदाय के लोगों के आह्वान पर वह प्रधानमंत्री पद के लिए खड़े हुए हैं, इसलिए मतदान का अधिकार तिब्बती समुदाय के 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोग उस दिन अपने अधिकार का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि वह सभी लोगों में प्रजातंत्र और लोकतंत्र में सहभागिता का आह्वान करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि धर्मगुरु दलाईलामा भी लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाने पर बल देते हैं।
यशी कहा कि यह चुनाव तिब्बत आंदोलन को तेजी देने के लिए है। तिब्बत की एकता के लिए भी जरूरी है। ऐसे में उन्होंने अपने घोषणा पत्र में मुख्य रूप से तिब्बत का संघर्ष, तिब्बती समाज में स्थिरता व मुद्राकोष में बढ़ावा देना मुख्य बिंदू रखे हैं। बिना मुद्रा के कुछ नही चल सकता, इसलिए विश्व मुद्राकोष बढ़ाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के 30 देशों में तिब्बती लोग रहते हैं। जो लोग निर्वासन में रहते हैं, उन्हें इस चुनाव में भाग लेना चाहिए। दलाईलामा से निर्वासन की शुरुआत से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने 33 वर्ष भारत में रहते हुए बनारस और शिमला में शिक्षा ली। अनेक साल तिब्बत संघर्ष में काम किया है और प्रशासनिक काम किए हैं।
61 साल में 20 बार चीन प्रतिनिधि से मिले तिब्बती प्रतिनिधि
यशी की मानें तो संघर्ष को लेकर 61 साल में तिब्बती प्रतिनिधि 20 बार चीन प्रतिनिधि से मिले। पहले पहल धर्मगुरु दलाईलामा व निर्वासित तिब्बती संसद के प्रतिनिधि चीन के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता करते थे और चीन सरकार भी वार्ता के लिए राजी हो जाती थी। 2008 में भी जब 20वीं वार्ता हुई तो उसमें उन्हें तिब्बत स्वायत्तता को लेकर पत्र दिया, लेकिन चीन शासन के साथ 2011 के बाद वार्ता ही नहीं हो पाई है। इस मसले पर चीन से भेंट करना जरूरी हैं। कम से कम 2 से 3 बार वार्ता होना जरूरी है, तभी हल निकलेगा। तीन-चार पीढ़ियों से आजादी की लड़ाई लड़ रहे तिब्बती लोगों के बलिदान फलीभूत होंगे।
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source https://www.bhaskar.com/local/himachal/news/dharamshala-the-struggle-for-independence-since-6-decades-the-deputy-speaker-of-the-tibetan-parliament-acharya-yashi-said-talk-to-china-is-very-important-for-the-solution-of-the-issue-128065051.html
राजधानी जगरेब में 6.3 तीव्रता का भूकंप, कई इमारतें गिरीं; 3 पड़ोसी देशों में भी महसूस किए गए झटके
क्रोएशिया में मंगलवार को भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 6.3 मापी गई है। मौसम विभाग के मुताबिक, राजधानी जगरेब से 46 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में इसका केंद्र था। भूकंप से इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसी इलाके में सोमवार को 5.2 तीव्रता का भूकंप आया था।
लाइव टेलीकास्ट में दिखा भूकंप का डर
जगरेब में आए भूकंप के झटके पूरे क्रोएशिया में महसूस किए गए हैं। इनके अलावा पड़ोसी देशों स्लोवानिया, सर्बिया, बोस्निया में भी झटके महसूस किए गए। क्रोएशिया का क्रस्को न्यूक्लियर प्लांट एहतियातन बंद कर दिया गया है। पेंट्रिजा शहर में कई घर पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। बचाव के लिए यहां सेना को तैनात किया गया है।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/earthquake-in-croatia-slovania-serbia-bosnia-today-latest-update-slovenia-krsko-nuclear-power-plant-shut-dow-128065006.html
महिलाओं को ड्राइविंग का हक दिलाने वाली लुजैन से सऊदी अरब को खतरा महसूस हुआ, 6 साल की सजा मिली
सऊदी अरब की एक अदालत ने सोशल एक्टिविस्ट लुजैन अल हथलौल को पांच साल आठ महीने की सजा सुनाई है। लुजैन दो साल से जेल में हैं। उन पर आरोप है कि वो देश के पॉलिटिकल सिस्टम को बदलना चाहती हैं। उन्हें राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा भी बताया गया है। लुजैन ने देश में महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार दिलाने के लिए कैम्पेन चलाया था। बाद में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इसे उदारवादी मांग बताया और महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार दे दिया था।
मार्च तक रिहा हो जाएंगी लुजैन
सोमवार को लुजैन (31) को सजा सुनाते वक्त कोर्ट ने उन्हें एक राहत भी दी। वे 15 मई 2018 से जेल में हैं। लुजैन ने जितना वक्त जेल में गुजारा है, उसे प्रिजन पीरिएड यानी सजा के तौर पर देखा जाएगा। कुल पांच साल आठ महीने की सजा में से यह वक्त निकाला जाएगा। ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, लुजैन मार्च के आखिर तक रिहा हो जाएंगी। उनकी दो साल 10 महीने की सजा को सस्पेंड भी रखा गया है। इसी वजह से उनकी रिहाई हो सकेगी।
हालांकि, रिहाई के साथ दो शर्तें भी होंगी। पहली- वे पांच साल तक किसी दूसरे देश की यात्रा नहीं कर सकेंगी। दूसरी- किसी तरह के विरोध प्रदर्शन या कैम्पेन की हिस्सा नहीं बनेंगी।
बहन ने कहा- वो आतंकी नहीं है
सोमवार को सजा के ऐलान के बाद लुजैन की बहन लीना ने कहा- मेरी बहन एक्टिविस्ट है, टेरेरिस्ट नहीं। उसे सजा देना गलत है। हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। उसने तो उन अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की, जो हमारे प्रिंस खुद दे रहे हैं।
लुजैन को 2014 में भी गिरफ्तार किया गया था। तब सऊदी में महिलाओं को ड्राइविंग राइट्स नहीं थे। तब वे 74 दिन पुलिस कस्टडी में रहीं थीं। अमेरिका और यूएन के दबाव के बाद उन्हें रिहा किया गया था।
अमेरिका की नजर
अमेरिका में जो बाइडेन 20 जनवरी को सत्ता संभालेंगे। मानवाधिकारों को लेकर बाइडेन का रवैया हमेशा से सख्त रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा- लुजैन को सजा दिए जाने से हम चिंतित हैं। उम्मीद है उन्हें जल्द रिहा किया जाएगा। अमेरिका के अगले NSA जैक सुलिवान ने कहा- हम रियाद के सामने यह मामला उठाएंगे।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/saudi-arabia-womens-rights-activist-loujain-al-hathloul-sentenced-to-five-years-eight-months-in-jail-128064787.html
posted by dpsnews24daily
October 24, 2024
via https://www.youtube.com/watch?v=Y2vH1NUzq_E